The Small Grants Programme (SGP) started in 1992, the year of the Rio Earth Summit and has implemented 26,429 projects globally in 136 countries. In India, the Small Grants Programme started in 2000, completing 20 years of project implementation in various parts of the country. The projects under the SGP work on five major thrust areas including biodiversity, climate change, land degradation, international waters, and persistent organic pollutants (POPs). The projects under each of these thrust areas maximised community involvement in their execution by involving various stakeholders using the provision of grants. The grants are given to Community Based Organizations and NGO’s for promoting innovation led rural programme that are connected to environment and energy conservation, poverty alleviation, sustainable livelihood, gender mainstreaming and inclusive community empowerment.
- To date, there have been 443 projects implemented in India and there exist over 340 CSO partners across the country.
- A total of 31 projects have been scaled up with associated technologies replicated.
- These have benefited over 1200 NGO partners by helping them to learn and implement sustainable management practices, as well as linking with government schemes and other programmes.
- The SGP in India has impacted about 6,00,000 people across India through the landscape interventions under each of the previous operational phases.
- Other achievements of the SGP include land restoration of 97,000 hectares of land that has been brought under sustainable land management practices.
- The programme has also empowered 1,255 women self help groups (SHGs) with a significant number of beneficiaries that go over 17,000 in number. The members of these groups have been financially strengthened using various kinds of strategies adopted by the SGP implementers in India.
स्मॉल ग्रांट प्रोग्राम (एसजीपी) सन 1992 में रियो पृथ्वी सम्मेलन वाले वर्ष में शुरू हुआ और इसके अंतर्गत विश्व स्तर पर 136 देशों में 26,429 प्रोजेक्ट्स को लागू किया गया है। भारत में, स्मॉल ग्रांट प्रोग्राम की शुरूआत सन 2000 में हुई। इस प्रोग्राम ने देश के विभिन्न भागों में प्रोजेक्ट संचालन के 20 वर्ष पूरे कर लिए हैं। एसजीपी के अंतर्गत प्रोजेक्ट्स पांच प्रमुख ज़ोर वाले क्षेत्रों में काम करती हैं: जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, भूमि निम्नीकरण, अंतर्राष्ट्रीय जल और दीर्घस्थायी जैविक प्रदूषक (पीओपी)। इन प्रमुख ज़ोर वाले क्षेत्रों में से प्रत्येक के अंतर्गत, अनुदान के प्रावधान का उपयोग करके विभिन्न हितधारकों को शामिल करते हुए प्रोजेक्ट्स के निष्पादन में अधिकतम सामुदायिक भागीदारी को संभव बनाया गया है। पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण, गरीबी खत्म करना, स्थायी जीविका, लैंगिक मुख्यधारा में लाना और समावेशी सामुदायिक सशक्तिकरण से जुड़े नवोन्मेष आधारित ग्रामीण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए, सामुदायिक संगठनों और एनजीओ को अनुदान दिया जाता है।
- अब तक, भारत में 443 प्रोजेक्ट्स लागू किए गए हैं और देश भर में 340 से अधिक सीएसओ भागीदार मौजूद हैं।
- सहायक तकनीकों को दोहराते हुए कुल 31 प्रोजेक्ट्स का विस्तारीकरण किया गया है।
- इनसे 1200 से अधिक एनजीओ भागीदारों को स्थायी प्रबंधन विधियों के बारे में सीखने और लागू करने, तथा सरकारी योजनाओं और अन्य कार्यक्रमों से उन्हें जोड़ने में सहायता मिली है।
- भारत में एसजीपी ने विगत प्रत्येक ऑपरेशनल फेज के अंतर्गत लैंडस्केप हस्तक्षेप के माध्यम से, पूरे भारत में लगभग 6,00,000 लोगों को प्रभावित किया है।
- 97,000 हेक्टेयर भूमि की उद्धार, एसजीपी की एक अन्य उपलब्धि है जिसे स्थायी भूमि प्रबंधन विधियों के अंतर्गत लागू किया गया है।
- इस कार्यक्रम ने 1,255 महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को भी सशक्त बनाया है, जिनमें लाभार्थियों की संख्या 17,000 से भी अधिक है। भारत में एसजीपी लागू करने वालों द्वारा अपनाई गई विभिन्न प्रकार की रणनीतियों का उपयोग करके इन समूहों के सदस्यों को आर्थिक रूप से भी मजबूत बनाया गया है।