The Seventh Operational phase of GEF Small Grants Programme in India aims to take
collective action in most vulnerable and least developed areas through a
participatory landscape planning and managed approach.
The global environmental benefits generated by the SGP India Upgraded Country
Programme (UCP) will be based on the number of grants awarded and experiences
on earlier operational phases of the SGP in India. Aggregated benefits over the longer
term will be a function of the synergies created between projects through
programmatic approaches, such as the landscape/seascape management approach.
GEF support will be catalytic in mobilizing action at local levels to innovate new
strategies and technologies to improve the management of vulnerable natural
resources and ecosystems.
More importantly, the programme will enhance the capacity of stakeholders in
different sectors and at different levels (NGOs, CBOs, etc.) to promote participatory
resource management and clean energy access. The lessons learned from the
community and landscape level initiatives will be analysed by multi-stakeholder
groups at landscape and regional levels for potential policy inputs and disseminated
to other landscapes and communities where they will be upscaled, mainstreamed
and replicated, as well as integrated into other local and national level programs. The
project strategy addresses the threats and barriers in the 3 target regions (Indian
Coastal Region, Semi Arid Region and North-Eastern Region) to generate multiple
benefits for biodiversity, climate change and land degradation and wellbeing of local
communities.
एक सहभागी लैंडस्केप योजना और प्रबंधित दृष्टिकोण के माध्यम से सबसे असुरक्षित और अल्पतम विकसित क्षेत्रों में सामूहिक कार्यवाही करना, भारत में जीईएफ स्मॉल ग्रांट प्रोग्राम के सातवें ऑपरेशनल फेज का उद्देश्य है।
एसजीपी इंडिया अपग्रेडेड कंट्री प्रोग्राम (यूसीपी) द्वारा उत्पन्न होने वाले वैश्विक पर्यावरणीय लाभ, दिए गए अनुदानों की संख्या, तथा भारत में एसजीपी के पिछले ऑपरेशनल फेज के अनुभवों पर आधारित होंगे। लंबी अवधि में समेकित लाभ कार्यक्रम संबंधी विधियों, जैसे कि लैंडस्केप/सामुद्रिक लैंडस्केप प्रबंधन विधियों के माध्यम से प्रोजेक्ट्स के बीच उत्पन्न पारस्परिक ऊर्जाओं का एक परिणाम होंगे। असुरक्षित प्राक़तिक संसाधनों और पारिस्थितिकी प्रणाली का प्रबंधन उन्नत बनाने के लिए नई रणनीतियों और तकनीकों को नवप्रवर्तित करने के लिए स्थानीय स्तर पर कार्यवाही प्रेरित करने के मामले में जीईएफ का सहयोग उत्प्रेरक होगा।
अधिक महत्वपूर्ण रूप में, यह कार्यक्रम विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न स्तरों (एनजीओ, सीबीओ, आदि) में हितधारकों का क्षमता संवर्धन करेगा, जिससे सहभागी संसाधन प्रबंधन और स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच को बढ़ावा मिलेगा। बहु-हितधारक समूहों द्वारा सामुदायिक और लैंडस्केप स्तर के प्रयासों से सीखे गए सबकों का विश्लेषण करते हुए, लैंडस्केप और क्षेत्रीय स्तरों पर संभावित नीतिगत इनपुट प्राप्त किए जाएंगे और अन्य लैंडस्केप्स और समुदायों में प्रसारित किए जाएंगे जहां उन्हें उन्नत बनाकर, मुख्यधारा में लाते हुए, और दोहराते हुए स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के अन्य कार्यक्रमों में एकीकृत किया जाएगा। प्रोजेक्ट की रणनीति में, 3 लक्षित क्षेत्रों (भारतीय तटीय क्षेत्र, अर्ध शुष्क क्षेत्र और पूर्वोत्तर क्षेत्र) में जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन और भूमि निम्नीकरण के संबंध में, तथा स्थानीय समुदायों के कल्याण के लिए अनेक लाभ उत्पन्न करने के लिए खतरों और बाधाओं का समाधान किया जाएगा।
जीईएफ-यूएनडीपी-एसजीपी कार्यक्रम जीईएफ-यूएनडीपी-एसजीपी की केंद्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (सीपीएमटी) के माध्यम से स्थापित है, जो टेरी (TERI) के क्षेत्रीय समन्वय कार्यालयों के एक अधिक विकेन्द्रीकृत तंत्र द्वारा समर्थित है, देश के सुदूरवर्ती तथा दुर्गम क्षेत्रों तक स्थानीय रूप से पहुंचना जिसका उद्देश्य है।