The SGP-OP7 focusses on community involvement and participatory governance as
essential tools in accomplishing biodiversity conservation, mitigation of climate
change and decreasing the area of land that is degraded. The programme also increases
the awareness of local communities with respect to their available as well as
vulnerable natural resources and ecosystems. On the other hand, community
involvement can directly reduce the level of poverty in the community through the
direct and indirect benefits that can be received from engaging in such community
efforts.
Learning and implementing better and effective practices can increase the capacity of
the environment in which a community is located. This can be seen through the
programme's centrality in engaging the community in energy efficient solutions such as
the creation or maintenance of a community biogas plant that controls carbon
emissions. The programme includes various activities such as training through SHGs that
can allow the locals to engage themselves in alternate livelihood activities. Other
activities include plant breeding, seed banks, and exchanges that not only bring the
community together as a whole but also improve the ecosystems around them. The
involvement of different stakeholders in these efforts is quite essential in order to
ensure the smooth functioning of these efforts. A multi-stakeholder approach is thus
adopted by the SGP wherein several Community Based Organizations or CBOs and
Non-Governmental Organizations (NGOs) are included at different levels of the
functioning of the SGP. They incorporate skill building, capacity development,
upscaling, and energy efficient activities in an inclusive manner so as to achieve the
maximum benefits from the programme.
एसजीपी ओपी7, जैव विविधता संरक्षण की प्राप्ति, जलवायु परिवर्तन कारकों में कमी और निम्नीकृत भूमि क्षेत्रफल कम करने के लिए अनिवार्य टूल्स के रूप में सामुदायिक भागीदारी और सहभागी अभिशासन पर केंद्रित है। यह कार्यक्रम स्थानीय समुदायों के लिए उपलब्ध तथा असुरक्षित प्राक़तिक संसाधनों और पारिस्थितिक तंत्र के बारे में उनकी जागरूकता भी बढ़ाता है। दूसरी तरफ सामुदायिक सहभागिता इन सामुदायिक प्रयासों में शामिल होने से प्राप्त होने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभों के द्वारा, समुदाय में गरीबी का स्तर प्रत्यक्ष रूप से कम कर सकती है।
बेहतर और प्रभावी पद्धतियां सीखना और लागू करना समुदाय के वातावरण की क्षमताओं को बढ़ा सकता है। इसे कार्बन उत्सर्जन नियंत्रित करने वाले सामुदायिक बायोगैस संयंत्र के निर्माण या रखरखाव आदि ऊर्जा कुशल समाधानों में समुदाय को शामिल करने पर कार्यक्रम के केंद्रित होने के रूप में देखा जा सकता है। कार्यक्रम में एसएचजी के माध्यम से प्रशिक्षण आदि विभिन्न गतिविधियां शामिल हैं जो स्थानीय लोगों को वैकल्पिक जीविका गतिविधियों में भाग लेने की सुविधा दे सकते हैं। पौध प्रजनन, बीज बैंक और आदान-प्रदान, यह अन्य गतिविधियों में शामिल हैं जो न केवल पूरे समुदाय को एकजुट करते हैं बल्कि उनके आसपास के पारिस्थितिकी प्रणाली को भी उन्नत बनाते हैं। इन प्रयासों का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए इनमें विभिन्न हितधारकों की भागीदारी बहुत आवश्यक है। इस प्रकार एसजीपी द्वारा एक बहु-हितधारक विधि अपनाई जाती है जिसमें एसजीपी के कामकाज के विभिन्न स्तरों पर अनेक सामुदायिक संगठनों या सीबीओ और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को शामिल किया जाता है। कार्यक्रम से अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने के ध्येय के साथ वे कौशल निर्माण, क्षमता सृजन, उन्नयन और ऊर्जा कुशल गतिविधियों को समावेशी ढंग से शामिल करते हैं।